द्वारा, पानी के द्वारा, खाने पीने की चिजों
के द्वारा तथा वायरस के रूप में अथवा
जान बूझकर लिये गये विभिन्न विष जैसे
शराब, धूम्रपान,गुटखा ,तम्बाकू आदि के
रुप में प्रवेश करते हैं। हम भली भांति देख
सकते हैं कि जिस प्रदूषित हवा में हम जीते
हैं,क्या उसमें घुली गैसों से हम अपने को
बचा पायेंगे।जो पानी हम पीते हैं वह पीने
योग्य है परन्तु क्या करे पानी के बगैर हम
जीवित नहीं रह सकते। जो भी हम खाते
हैं क्या वह शुध्द व सुरक्षित है? क्या अन्य
रोगियों के संक्रमण से मिलने वाले व
विभिन्न साधनों से शरीर में प्रवेश करने
वाले वायरसों से हम सुरक्षित है? क्या
हम औषधि अथवा रसायनों के दुष्परिणामों
एवं संक्रमण से सुरक्षित है।यह भी
सुनिश्चित नहीं कि कभी न कभी हम किसी
भी साध्य-असाध्य बीमारी की चपेट आने
से अपने आप को न बचा सकेगें।पहला
सुख निरोगी काया को ही माना गया है।
रोगी जीवन से बढ़ा दुख दुनिया में कोई
नहीं।कितनी धन सम्पत्ति हो ,शरीर
स्वस्थ्य न होने पर दुनिया बेरंग ही होती
है।जरा किसी हासि्पटल में चक्कर
लगाकर देखें और जो भुगत रहें है,उनसे
पूछे।क्या किसी तरह इस त्रासदी से बचा
जा सकता है? क्या संसार में ऐसा कुछ भी
नहीं जो शरीर में इतनी रोग प्रतिरोधक
शक्ति पैदा कर सके कि किसी संक्रमण
,वायरस,टाक्सिन और दवाइयों के
दुष्परिणाम का प्रभाव हमारे ऊपर न पड़े
और हमारी बीमारियों के कारणों को बाहर
निकाल सके ? जी हाँ -- कुदरत की
मानवजाति के लिये एक अनमोल भेंट -
-गैनोडर्मा ?
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